दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग,उत्तर प्रदेश

Empowerment of Persons with Disabilities Department, UP

विभाग के बारे में

समाज के असहाय, सुविधाविहीन एवं कमजोर वित्तीय स्थिति वाले दिव्यांगजनों के सर्वांगीण विकास एवं उनके लाभ तथा सहायता के लिए बनाई गयी योजनाओं के सुचारू संचालन हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 20 सितम्बर, 1995 को दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग,उत्तर प्रदेश सरकार का गठन किया गया।

भारत की जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार उत्तर प्रदेश में विभिन्न निःशक्तताओं से ग्रसित कुल व्यक्तियों की संख्या 4157514 है। जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 2.08 प्रतिशत है। इसमें दृष्टि निःशक्तता, वाक् निःशक्तता, श्रवण निःशक्तता, अस्थि निःशक्तता, मानसिक मंदित, मानसिक रूग्ण, बहु निःशक्तता एवं अन्य निःशक्तता से ग्रसित व्यक्ति शामिल हैं।

विभाग अपने विद्यालयों के माध्यम से विभिन्न आयु वर्ग, साक्षरता स्तर से संबंधित दिव्यांग छात्र/छात्राओं की आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है। छात्र/छात्राओं के लिए आवासीय छात्रावास, ब्रेल प्रेस की स्थापना एवं संचालन के साथ-साथ डा0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है जिसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न श्रेणी की निःशक्तता से ग्रसित दिव्यांग छात्र/छात्राओं को शैक्षिक सहायता प्रदत्त करना है।

विभाग ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया है जैसे कि: निराश्रित दिव्यांगजन हेतु आश्रय गृह-सह-प्रशिक्षण केन्द्र, कौशल विकास केन्द्र, अनुदान, पेंशन, सहायता तथा कृत्रिम अंग/सहायक उपकरण आदि।

इसके अलावा, विभिन्न प्रोत्साहनों जैसे कि: दिव्यांगजन से विवाह करने पर, दिव्यांग / दिव्यांगता के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों / संस्थानों के लिए राष्ट्रीय / राज्य स्तरीय पुरस्कार व कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी (सी. एस. आर.) की पहल के उपयोग से अधिनियम द्वारा प्रत्यायोजित उक्त दायित्वों को पूर्ण करने हेतु तत्पर है।

उपर्युक्त के अतिरिक्त, आजीविका के अवसर उपलब्ध कराने की योजनाओं के माध्यम से यथा दुकान निर्माण संचालन योजना द्वारा , विभिन्न राज्य / राज्योत्तर सेवाओं में आरक्षण / छूट द्वारा दिव्यांगजन के सर्वागींण विकास एवं उन्नयन हेतु सदैव प्रयासरत है।

दिव्यांगजन हेतु सुगम्य आवागमन के लिए बाधा रहित वातावरण का निर्माण, शल्य चिकित्सा द्वारा दिव्यांगजन के जीवन मानकों का उच्चीकरण तथा जीवन की गुणवत्ता का विकास एवं भागीदारी सुनिश्चित कराना है।

विभाग सक्रिय रूप से विभिन्न हितधारकों, सेवा प्रदाताओं, गैर सरकारी संगठनों तथा प्रतिष्ठित व्यक्तियों के सुझाव, अनुभव, अपेक्षाओं को समाहित करते हुए एक अधिक न्यायसंगत, प्रगतिशील निर्णय प्रणाली व दिव्यांगजन की विशिष्ट परिस्थितियों के प्रति जागरूकता विकसित करने हेतु तत्पर है जिससे एक अधिक समावेशी समाज का निर्माण किया जा सके।

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के मुख्य दायित्व

  • दिव्यांगजनों के संबंध में राष्ट्रीय नीति का कार्यान्वयन।
  • आयोजनागत एवं आयोजनेतर योजनाओं के माध्यम से दिव्यांगों का सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास सुनिश्चित करना।
  • दिव्यांगजनों के विकास संबंधी भारत सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों का कार्यान्वयन।
  • दिव्यांगजन विकास के संबंध में राष्ट्रीय संस्थानों के साथ समन्वय।
  • दिव्यांगजनों के विकास संबंधी कार्य हेतु अन्तरविभागीय समन्वय।
  • सेवाओं में दिव्यांगजनों का आरक्षण एवं उनके सेवायोजन का पर्यवेक्षण।
  • दिव्यांगजनों के लिये सहायक उपकरणों का प्रबन्ध।
  • दिव्यांगजनों के लिये विशेष तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण।
  • गैर सरकारी संस्थाओं/माता-पिता/सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों को दिव्यांगजनों के विकास संबंधी प्रशिक्षण।
  • गैर सरकारी संस्थाओं को दिव्यांगजनों के विकास सम्बन्धी कार्य करने हेतु सहायता एवं सहयोग।
  • राज्य एवं केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यमों तथा निजी क्षेत्र के उद्यमों एवं उनके संगठनों से दिव्यांग जन विकास के लिये सहयोग प्राप्त करना।
  • दिव्यांगों से संबंधित योजनाएं आय-व्ययक अनुमान तथा अन्य प्रशासनिक मामले।
  • वैश्विक नीतियों तथा पहल/विनिमय-कार्यक्रम/तकनीकी सहायता आदि के परिपेक्ष्य में नए आयामों का अन्वेषण करना